#BiharElections2020 ये बात सही है कि बिहार में ऐसे राजनीतिक नेतृत्व का अभाव है और हमेशा से रहा है जो कि सदियों से पिछड़े, बिहार के लोगों के विकास की जन आकांक्षा को पूरा कर सके। पर, लोग करें तो क्या करें?अगर सारे ही अच्छे नहीं है, तो उनमें से सबसे अच्छा या सबसे कम खराब को ही चुनना पड़ेगा। कोई आपके आशा पर पूरे तरह से खरा नहीं उतर पाया, इसका मतलब ये नहीं कि आप बिहार में "जंगल" राज और "परिवारवाद" फिर से वापस लेते आएं। संक्षेप में, बिहार के लोग, ठंडे दिमाग से, अपने विवेक का इस्तेमाल करके निर्णय लें। खुंदक में, अपने मत का ऐसा गलत इस्तेमाल ना करें ताकि बाद में सोचने के लिए विवश होना पड़े कि, "पहले तो सोचते थे कि गर्म कड़ाहे में हैं पर अब तो सीधे जलते हुए चूल्हे में गिर पड़े हैं"।
ठंडे दिमाग से सोचें, जो बंदा माता और पिता दोनों के लंबे समय तक मुख्यमंत्री होने के बावजूद आज के जमाने में(जब एक चपरासी भी ग्रेजुएट होता है), भी नवीं कक्षा पास नहीं कर पाया वो क्या बिहार जैसे बड़े राज्य को विकसित कर पायेगा?वो तो लोगों को उद्योग और रोजगार देने के नाम पर, "अपहरण" उद्योग को ही फिर से जिंदा करेगा।
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